विश्व मतस्य पालन दिवस : 21 नवम्बर

 

21 नवम्बर को विश्व भर में विश्व मतस्य पालन दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसका उद्देश्य मतस्य पालन से जुड़े लोगों की आजीविका तथा महासागरीय पारिस्थितिकी तंत्र को सुनिश्चित करना है। इस दौरान रैली, वर्कशॉप, बैठक, सांस्कृतिक कार्यक्रम तथा प्रदर्शनी इत्यादि का आयोजन किया जाता है।

भारत में मतस्य उद्योग

मतस्य उद्योग भारतीय अर्थव्यवस्था का अति महत्वपूर्ण हिस्सा है, इससे देश में लाखों लोगों को रोज़गार प्राप्त होता है तथा इससे देश में खाद्य सुरक्षा भी सुनिश्चित होती है। भारत की तटीय रेखा लगभग 8,000 किलोमीटर है तथा विशेष आर्थिक क्षेत्र (EEZ) 2 मिलियन वर्ग किलोमीटर है। भारतीय अर्थव्यवस्था में मतस्य उद्योग का योगदान सकल घरेलु उत्पाद (जीडीपी) में 1.07% है। मतस्य पालन भारत में कृषि व सम्बंधित क्षेत्र 5.5% हिस्सा है।

भारत में मतस्य क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण भाग अंतर्देशीय मतस्य है, इसमें नदी, झीलें, जलाशय, तालाब इत्यादि प्रमुख हैं। भारत में 1950 में अंतर्देशीय मतस्य उत्पादन 1,92,000 टन था, वर्ष 2007 में यह बढ़कर 7,81,846 टन पहुँच गया था।

प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना

यह योजना भारत में मत्स्य पालन के सतत विकास पर केंद्रित है। इसे 2020-21 और 2024-25 के बीच लागू किया जायेगा। इस योजना के तहत मत्स्यपालकों के लिए आवंटित धनराशि 20,050 करोड़ रुपये है। यह मछली पालन क्षेत्र के लिए सबसे अधिक आवंटित की गयी धनराशी है।

योजना की मुख्य विशेषताएं

  • इस योजना का लक्ष्य 2024-25 तक मछली उत्पादन को 70 लाख टन तक बढ़ाना है।
  • इसका उद्देश्य मत्स्य किसानों की आय को दोगुना करना है।
  • यह योजना मत्स्य पालन क्षेत्र की फसल के बाद के नुकसान को घटाकर 25% से 20% से 10% कर देगी
  • यह योजना मत्स्य क्षेत्र में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से 55 लाख रोजगार पैदा करेगी।
  • इस योजना का उद्देश्य फिनफिश हैचरी की स्थापना, बायोफ्लॉक तालाबों का निर्माण, आइस प्लांट्स, पिंजरों की स्थापना, मछली चारा पौधों की स्थापना आदि है।